Shikha Arora

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लेखनी कहानी -25-Dec-2021- बेटी की विदाई


बेटी की हो रही हैं विदाई  , 
बाबुल की आँखें भर आई  , 
पाला था जिसको लाड से  , 
आज हो रही वो पराई |
बेटी के नीर तो न थम रहे  , 
पिता के आंसू भी बरस रहे  , 
खुद वो यहाँ जा रही हैं रोती  , 
पांव उसके तो वही जम रहे |
देखा नहीं कभी आँखों को नम, 
आज उसको देखो कितना गम, 
कलेजा टुकड़े टुकड़े बिखर रहा, 
बोले बाबुल कभी दूर न होंगे हम |
दुल्हन भेष में देख बाबा हर्षा रहे, 
पर मन ही मन वो तो घबरा रहे, 
रौनक हैं जो मेरे इस अंगना की, 
जिम्मेदारी दे उसके कांधे भरमा रहे |
बोले बेटी बाबुल से तेरी मैं हूँ जान, 
सदा मैं रखूंगी ससुराल में तेरा मान, 
तुमने करी विदाई खत्म अब जिम्मेदारी, 
अब दो कुलों की बढ़ाऊंगी मैं शान |
बेटी तू ब्याह कर जा रही हैं परदेस, 
कैसे भूलेगा तुझे भला अपना देस, 
खेली हो जिस घर के अंगना में तुम, 
याद करेगा वो पल पल तेरा हर वेष |
ईश्वर तुमने यह कैसी रीत हैं बनाई, 
काहे को हो जाती हैं बेटियां पराई, 
हो रही विदा ये कली मेरे आंगन की, 
कैसे हो सकते भगवन तुम हरजाई ||


शिखा अरोरा (दिल्ली) 

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1 Comments

Swati chourasia

25-Dec-2021 09:09 PM

Wahh bohot sundar rachna 👌

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